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‘यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता/होती.......’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

‘यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता/होती.......’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

      यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता तो मैं अंतरिक्ष के नियमों के अनुभव को साक्षात मेहसूस कर पाता। अंतरिक्ष और हमारी पृथ्वी के वातावरण में बहुत अंतर है। पृथ्वी से हम जो आसमान देखते हैं वह नीला रंग का दिखाई देता है लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष से यह काला दिखाई देता है ये एक बहुत ही रोचक बात है इसे मैं अनुभव करना चाहता। सुना है कि यदि अंतरिक्ष में दो धातु के टुकड़े अगर आपस में एक दूसरे से स्पर्श हो जाएं तो वो स्थाई रूप से एक दूसरे से जुड़ जाते हैं, मैं इन सभी का अनुभव लेना चाहता। अंतरिक्ष में कभी भी कोई व्यक्ति रो नहीं सकता क्योंकि आपके आँसू  कभी भी नीचे नहीं गिर सकते क्योंकि वहाँ का वातावरण अलग रहता है ऐसे ही कई रोचक बातों का मैं अनुभव कर पाता यदि मैं अंतरिक्ष यात्री होता।

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निम्नलिखित अशुद्ध वाक्‍यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :- अशुद्ध वाक्य १. लता कितनी मधुर गाती है । २. तितली के पास सुंदर पंख होते हैं । ३. यह भोजन दस आदमी के लिए है। ४. कश्मीर में कई दर्शनीय स्थल देखने योग्य है । ५. उसने प्राण की बाजी लगा दी । ६. तुमने मीट्टी से का प्यार । ७. यह है न पसीने का धारा । ८. आओ सिंहासन में बैठो । ९. तुम हँसो कि फूले-फले देश । १०. यह गंगा का है नवल धार । उत्तर: शुद्ध वाक्य १. लता कितना मधुर गाती है। २. तितली के पंख सुंदर होते हैं। ३. यह भोजन दस आदमियों के लिए है। ४. कश्मीर में कई दर्शनीय स्थल हैं। ५. उसने प्राणों की बाजी लगा दी। ६. तुमने मिट्टी से किया प्यार। ७. यह है न पसीने की धार। ८. आओ, सिंहासन पर बैठो। ९. तुम हँसो ताकि फूले-फले देश। १०. यह गंगा की है नवल धार।

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