अपने पूत को कोई काना नहीं कहता। अर्थ - अपनी ख़राब चीज़ को भी कोई ख़राब नहीं कहता है। अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना। अर्थ - अपनी बड़ाई खुद ही करना। अब की अब के साथ, जब की जब के साथ। अर्थ - सदा वर्तमान में ही रहना चाहिए और आज की ही चिंता करनी चाहिए।
अपने पूत को कोई काना नहीं कहता।
अर्थ - अपनी ख़राब चीज़
को भी कोई ख़राब नहीं कहता है।
अपने मुँह मिया
मिट्ठू बनाना।
अर्थ - अपनी बड़ाई खुद ही
करना।
अब की अब के साथ,
जब की जब के साथ।
अर्थ - सदा वर्तमान में
ही रहना चाहिए और आज की ही चिंता करनी चाहिए।
अब सतवंती होकर
बैठी, लूट लिया सारा संसार।
अर्थ - सारी उम्र तो
व्यक्ति बुरे काम करता रहा और बाद में संत बनकर बैठ जाए।
अभी तो तुम्हारे
दूध के दाँत भी नहीं टूटे।
अर्थ - अभी तो तुम्हारी
उम्र कम है और अभी तुम बच्चे हो और नादान और अनजान हो।
अभी दिल्ली दूर
है।
अर्थ - अभी कसर बाकी है,
अभी काम पूरा नहीं हुआ।
अमरी की जान
प्यारी, ग़रीब को दम भारी।
अर्थ - ग़रीब की जान के
लाले पड़े हैं।
अरहर की टट्टिया,
गुजराती ताला।
अर्थ - मामूली वस्तु की
रक्षा के लिए इतना बड़ा इन्तज़ाम।
अलख पुरुष की
माया, कहीं धूप कहीं छाया।
अर्थ - ईश्वर की लीला
देखिए- कोई सुखी है और कोई दु:खी है।
अशर्फ़ियाँ लुटें
और कोयलों पर मोहर।
अर्थ - मूल्यवान वस्तु
भले ही दे दें, पर छोटी-छोटी
चीज़ों को बचा-बचा कर रखने की आदत।